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Sunday, June 29, 2014

Kumar Vishwas - Geet बस्ती बस्ती घोर उदासी



कुमार विश्वास - गीत लूट लो कविताओं और गीतों की मस्ती :-)

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत ख़ालीपनबस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत ख़ालीपन 
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत ख़ालीपनबस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत ख़ालीपन 
मन हिरा बेमोल लूट गया घिस घिस रीता तन  चन्दन मन हिरा बेमोल लूट गया घिस घिस रीता तन  चन्दन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है। .... इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है
एक तो तेरा भोलापन  है एक मेरा दीवानापन  … एक तो तेरा भोलापन  है एक मेरा दीवानापन

इस  उड़ान पर अब शर्मिंदा मैं भी हूँ और तू भी है। इस  उड़ान पर अब शर्मिंदा मैं भी हूँ और तू भी है 
आसमान से गिरा परिंदा मैं भी हूँ और तू भी है।। आसमान से गिरा परिंदा मैं भी हूँ और तू भी है।
छूट गयी रस्ते में मरने जीने की सारी  कस्मे।   …  छूट गयी रस्ते में मरने जीने की सारी  कस्मे
अपंने अपने हाल में जिन्दा मैं भी और तू भी है। .…  अपंने अपने हाल में जिन्दा मैं भी और तू भी है 
ख़ुशहाली  में इक बदहाली मैं भी हूँ और तू भी है ख़ुशहाली  में इक बदहाली मैं भी हूँ और तू भी है 
हर निगाह पर एक सवाली मैं भी हूँ और तू भी है  हर निगाह पर एक सवाली मैं भी हूँ और तू भी है 
दुनिया कुछ भी अर्थ लगाये हम दोनों को मालुम  है दुनिया कुछ भी अर्थ लगाये हम दोनों को मालुम  है 
भरे भरे पर ख़ाली ख़ाली मैं भी हूँ और तू भी हैंभरे भरे पर ख़ाली ख़ाली मैं भी हूँ और तू भी हैं 

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